Dasharupakam

250.00

दशरूपकम्

डॉ. रमाशंकर त्रिपाठी 

धनञ्जयविरचितं धनिककृतयाऽवलोकटीकया समेतं

‘दशरूपक’ के इस संस्करण को वर्तमान रूप देने में संस्कृत, अंग्रेजी तथा हिन्दी के कतिपय संस्करणों से सहायता उपलब्ध हुई है।

Add to Wishlist
Add to Wishlist
SKU: SGM-24 Categories: ,
Add To Wishlist

Description

दशरूपकम्

डॉ. रमाशंकर त्रिपाठी 

धनञ्जयविरचितं धनिककृतयाऽवलोकटीकया समेतं

  • शास्त्र के इतिहास में दशरूप मानदण्डको भाँतिथि है। भारत के के रूपकविषयक सिद्धान्तों का संक्षिप्त पर सर्वाङ्गीण विवेचन इसकी मौलिकता है।
  • इसके उत्तरभावी नाट्यविषयक ग्रन्थ इसको दमकती आभा को किशित भी मलिन नहीं कर सके हैं। वस्तुतः यह ग्रन्थय एवं धनिक-बन्धुदय की समवेत प्रतिभा का अनय अखण्ड फल है।
  • ऐसे अमर-ग्रन्थ को अवधप्रस्तुत करने का भला नदीष्ण विद्वानों के अतिरिक्त कौन दम भर सकता है? फिर भी इसकी यह नवीन व्याख्या प्रस्तुत की गयी है, इसे गुरुओं तथा विद्वानों की कृपा का प्रसाद ही समझना बाहिए। ‘छात्रों को अधिक से अधिक सहायता पहुँचाया जा सके।
  • इस बात को ध्यान में रखते हुए यह संस्करण तैयार किया गया है। कोई भी व्यक्ति इस संस्करण के माध्यम से, बिना किसी की सहायता लिये हुए भी, धनञ्जय एवं धनिक के गम्भीर भावों तक अनायास पहुँच सकता है।
  • अध्यापकों, आलोचकों तथा नयी और पुरानी विचारधाराओं के विद्वानों के लिए भी इस संस्करण का उतना ही महत्त्व हो जितना कि छात्रों के लिये एतदर्थ भी प्रयास किया गया है। प्रारम्भ में अनुसन्धानात्मक भूमिका के साथ इस संस्करण को अर्थ, विशेष, पूर्वपक्ष, सिद्धान्त तथा संस्कृत टिप्पणी आदि से सज्जित करने का भरपूर प्रयत्न किया गया है।
  • उद्देश्य में कहाँ तक सफलता मिली है, इसका मूल्याङ्कन मेरा काम नहीं है। संक्षेप में यह प्रयास किया गया है कि यह संस्करण दशरूपक के अर्थ एवं भाव को स्वच्छ दर्पण की भाँति प्रतिविम्बित कर पाठकों को नम्र अपेक्षित सेवा कर सके। अनुवाद की अविकलता तथा स्पष्टता को प्राधान्य देते हुए भी यत्र-तत्र, विशेषतया चतुर्थ प्रकाश में, स्वतन्त्र रोति अपनायी गयी है।
  • ‘दशरूपक’ के इस संस्करण को वर्तमान रूप देने में संस्कृत, अंग्रेजी तथा हिन्दी के कतिपय संस्करणों से सहायता उपलब्ध हुई है। टीका की सरणि तथा उद्धरणों के विषय में डॉ० श्रीनिवास शास्त्री का संस्करण उपयोगी रहा। इसके अतिरिक्त साहित्य दर्पण, काव्यप्रकाश तथा ध्वन्यालोक के उपलब्ध संस्करणों से भी यथेच्छ सहायता ली गयी है। व्याख्याकार इन संस्करणों के कृती व्याख्याताओं तथा संपादकों का हृदय से आभार स्वीकार करता है।

Additional information

Weight 442 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Dasharupakam”

Your email address will not be published. Required fields are marked *