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Pratiyogita Ganga Bhag-1

270.00

संस्कृत सम्बद्ध सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

प्रतियोगितागङ्गा भाग- 1

वैदिकवाङ्मय संस्कृतव्याकरण भाषाविज्ञान

5500 प्रश्नों का स्रोत सहित हल

सम्पादक: सर्वज्ञभूषण

  • प्रश्नपत्रों की उपलब्धता
  • प्रश्नों का सही उत्तर खोजना
  •  उत्तरों का प्रामाणिक ग्रन्थों से सही स्रोत लिखना
  • प्रश्नों की पुनरावृत्ति रोकना
  • सभी प्रश्नों का सही सन्दर्भ लिखना
  • किसी भी तरह के मुद्रणदोष से पुस्तक को बचाना
  • प्रश्नों को सही क्रम में व्यवस्थित करते हुए
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Description

संस्कृत सम्बद्ध सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

प्रतियोगितागङ्गा भाग- 1

वैदिकवाङ्मय संस्कृतव्याकरण भाषाविज्ञान

5500 प्रश्नों का स्रोत सहित हल

सम्पादक: सर्वज्ञभूषण

  • संस्कृतगङ्गा दारागञ्ज प्रयाग द्वारा “प्रतियोगितागङ्गा (भाग-1)” आप सभी संस्कृतमित्रों की सेवा में समर्पित हैं, इस पुस्तक में वैदिक वाङ्मय, संस्कृतव्याकरण एवं भाषाविज्ञान से सम्बद्ध विगत सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये बहुविकल्पीय प्रश्नों का संप्रमाण हल प्रस्तुत है।
  • इसके बाद प्रतियोगितागङ्गा (भाग-2) जिसमें भारतीयदर्शन एवं संस्कृतसाहित्य से सम्बद्ध सभी बहुविकल्पीय प्रश्नों का संग्रह है, यह कार्य भी लगभग पूर्ण हो चुका है, शीघ्र ही आपकी सेवा में उसे भी प्रस्तुत करने का प्रयास होगा।
  • मित्रों! इस पुस्तक का लेखनकार्य जुलाई 2014 से प्रारम्भ किया गया था, तब से लेकर सितम्बर 2016 तक लगभग दो वर्ष से अधिक अनवरत परिश्रम के बाद पुस्तक का यह स्वरूप आपके सामने आ सका है, तो इसमें कोई सन्देह नहीं कि इस पुस्तक को तैयार करने में काफी समय लगा, परन्तु कोई भी जिज्ञासु प्रतियोगी छात्र इसे पढ़कर इसके बम का अनुभव कर सकता है “जानाति हि पुनः सम्यक् कविरेव कवेः श्रममू” (नलबम्पू 123) कहने को तो यह भी कहा जा सकता है कि इस पुस्तक में प्रश्नों का ही तो संग्रह है और क्या मौलिक सर्जना है, परन्तु मित्रों यह तो इसके स्वाध्याय से ही पता चलेगा कि इसमें लगातार 2 वर्षों तक लगभग 25 संस्कृतमित्रों के सहयोग से क्या विशेष कार्य किया गया है।
  • इस कार्य को तो कोई जिम स्वाध्यायी तथा गुणी पाठक ही बता सकता है, कि पुस्तक का कार्य कितना गुरुतर, श्रमसाध्य एवं भगीरप्रयास से ही सम्भव था, क्योंकि “जानन्ति हि गुणान् वक्तुं तद्विधा एव तादृशाम्’ प्रतियोगी परीक्षाओं के विषय में हम सभी लोगों की यह आम धारणा रही है कि TGT, PGT, UGC आदि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के पूर्व प्रत्येक छात्र उस परीक्षा की मूल प्रकृति को जानने समझने के लिए उस परीक्षा के विगतवर्षों में पूछे गये प्रश्नों को देखना समझना चाहता है, ताकि उसी के अनुसार वह योजनाबद्ध तरीके से अपनी तैयारी कर सके।
  • इस दृष्टि से यह पुस्तक संस्कृत प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, तथा संस्कृत से जुड़ी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रथम एवं अनिवार्य पुस्तक होगी। क्योंकि इसमें भारत में सम्पन्न संस्कृत-सम्बद्ध किसी भी परीक्षा का प्रश्न यथासम्भव सही सन्दर्भ, स्रोत एवं उत्तर के साथ संकलित है। इस पुस्तक की यही विशिष्टता रही है कि इसमें केवल विगत परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों का ही संग्रह किया गया है न कि स्वनिर्मित प्रश्नों का प्रश्नों की प्रकृति के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गयी है, और प्रत्येक प्रश्न के आगे उस परीक्षा का नाम और वर्ष भी अङ्कित किया गया है। मित्रों ! इस पुस्तक का यह स्वरूप बनाने में कुछ बड़ी चुनौतियाँ संस्कृतगङ्गा के सामने थीं, जैसे

(i) प्रश्नपत्रों की उपलब्धता

(ii) प्रश्नों का सही उत्तर खोजना

(iii) उत्तरों का प्रामाणिक ग्रन्थों से सही स्रोत लिखना

(iv) प्रश्नों की पुनरावृत्ति रोकना

(v) सभी प्रश्नों का सही सन्दर्भ लिखना

(vi) किसी भी तरह के मुद्रणदोष से पुस्तक को बचाना

(vii) प्रश्नों को सही क्रम में व्यवस्थित करते हुए

Additional information

Weight 631 g
Dimensions 24.5 × 18.4 × 2 cm

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