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Pratiyogita Ganga Bhag-2

337.00

UGC-NET/JRF, TGT, PGT, DSSSB, RPSC, MA, M.Phil/Ph.D Entrance आदि संस्कृत सम्बद्ध सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

प्रतियोगितागङ्गा भाग- 2

संस्कृतसाहित्य भारतीयदर्शन

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये लगभग 7000 प्रश्नों का स्त्रोत सहित हल

सम्पादक सर्वज्ञभूषण

  • प्रश्नपत्रों की उपलब्धता
  • प्रश्नों का सही उत्तर खोजना
  • उत्तरों का प्रामाणिक ग्रन्थों से सही स्रोत लिखना
  • प्रश्नों की पुनरावृत्ति रोकना
  • सभी प्रश्नों का सही सन्दर्भ लिखना
  • किसी भी तरह के मुद्रणदोष से पुस्तक को बचाना
  • प्रश्नों को सही क्रम में व्यवस्थित करते हुए उचित स्थान पर संकलित करना इन सभी चुनौतियों को संस्कृतगंगा की सम्पादक टीम ने अथक परिश्रम करके आसान बना दिया।
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Description

UGC-NET/JRF, TGT, PGT, DSSSB, RPSC, MA, M.Phil/Ph.D Entrance आदि संस्कृत सम्बद्ध सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

प्रतियोगितागङ्गा भाग- 2

संस्कृतसाहित्य भारतीयदर्शन

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये लगभग 7000 प्रश्नों का स्त्रोत सहित हल

सम्पादक सर्वज्ञभूषण

  • संस्कृतगजा दारागञ्ज प्रयाग द्वारा “प्रतियोगितागङ्गा (भाग-2)” आप सभी संस्कृतमित्रों की सेवा में समर्पित है, इस पुस्तक में संस्कृत-साहित्य, काव्यशास्त्र एवं भारतीय दर्शन से सम्बद्ध विगत सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये बहुविकल्पीय प्रश्नों का सप्रमाण हल प्रस्तुत है।
  • इसके पहले प्रतियोगितागा (भाग-1) वैदिक-साहित्य एवं संस्कृतव्याकरण से सम्बद्ध सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये लगभग 5OOD बहुविकल्पीय प्रश्नों वाली पुस्तक आपकी सेवा में पहले ही समर्पित की जा चुकी है। एक वर्ष में ही 10,000 से अधिक प्रतियाँ बिकने के बाद इस पुस्तक की माँग लगातार बढ़ रही थी, जो आज पूरी हुई।
  • मित्रों! इस पुस्तक का लेखनकार्य जुलाई 2014 से प्रारम्भ किया गया था, तब से लेकर आजसम्बर 2017 तक लगभग तीन वर्ष से अधिक अनवरत परिश्रम के बाद पुस्तक का यह स्वरूप आपके सामने आ सका है, तो इसमें कोई सन्देश नहीं कि इस पुस्तक को तैयार करने में काफी समय लगा, परन्तु कोई भी जिज्ञासु प्रतियोगी छात्र इसे पढ़कर इसके बम का अनुभव कर सकता है ” जानाति हि पुनः सम्यक् कविरेव कवेः श्रमम्” (नलबम्पू 1/23) कहने को तो यह भी कहा जा सकता है कि इस पुस्तक में प्रश्नों का ही तो संग्रह है और क्या मौलिक सर्जना है, परन्तु मित्रों यह तो इसके स्वाध्याय से ही पता चलेगा कि इसमें लगातार 3 वर्षों तक लगभग 25 संस्कृतमित्रों के सहयोग से क्या विशेष कार्य किया गया है।
  • इस कार्य को तो कोई जिज्ञासु स्वाध्याय तथा गुणी पाठक ही बता सकता है, कि पुस्तक का कार्य कितना गुस्तर, श्रमसाध्य एवं भगीरथप्रयास से ही सम्भव था, क्योंकि “जानन्ति हि गुणान् वक्तुं तद्विधा एव तादृशाम्” प्रतियोगी परीक्षाओं के विषय में हम सभी लोगों की यह आम धारणा रही है कि TGT, PGT, UGC आदि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के पूर्व प्रत्येक छात्र उस परीक्षा की मूल प्रकृति को जानने समझने के लिए उस परीक्षा के विगतवर्षों में पूछे गये प्रश्नों को देखना समझना चाहता है, ताकि उसी के अनुसार वह योजनाबद्ध तरीके से अपनी तैयारी कर सके। इस दृष्टि से यह पुस्तक संस्कृत प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगी, तथा संस्कृत से जुड़ी सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रथम एवं अनिवार्य पुस्तक होगी। क्योंकि इसमें भारत में सम्पन्न संस्कृत सम्बद्ध किसी भी परीक्षा का प्रश्न यथासम्भव सही सन्दर्भ, स्त्रोत एवं उत्तर के साथ संकलित है।
  • इस पुस्तक की यही विशिष्टता रही है कि इसमें केवल विगत परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों का ही संग्रह किया गया है न कि स्वनिर्मित प्रश्नों का प्रश्नों की प्रकृति के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गयी है, और प्रत्येक प्रश्न के आगे उस परीक्षा का नाम और वर्ष भी अङ्कित किया गया है।
  • मित्रों! इस पुस्तक का यह स्वरूप बनाने में कुछ बड़ी चुनौतियों संस्कृतगङ्गा के सामने थीं, जैसे

 

(i) प्रश्नपत्रों की उपलब्धता

(ii) प्रश्नों का सही उत्तर खोजना

(iii) उत्तरों का प्रामाणिक ग्रन्थों से सही स्रोत लिखना

(iv) प्रश्नों की पुनरावृत्ति रोकना

(v) सभी प्रश्नों का सही सन्दर्भ लिखना

(vi) किसी भी तरह के मुद्रणदोष से पुस्तक को बचाना

(vii) प्रश्नों को सही क्रम में व्यवस्थित करते हुए उचित स्थान पर संकलित करना इन सभी चुनौतियों को संस्कृतगंगा की सम्पादक टीम ने अथक परिश्रम करके आसान बना दिया।

Additional information

Weight 819 g
Dimensions 24.6 × 18.5 × 2.7 cm

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