RaghuvanshMahakavyam (Second Sarg)
₹70.00
रघुवंशमहाकाव्यम् (द्वितीयः सर्गः)
अन्वय,सज्जीविनी, टीका, शब्दार्थ,अनुवाद, व्याख्या, व्याकरणात्मक, टिप्पणी सहित
(डॉ. निशा गोयल)
महाकविकालिदासविरचित
Out of stock
Add to Wishlist
Add To Wishlist Add to Wishlist
Description
रघुवंशमहाकाव्यम् (द्वितीयः सर्गः)
अन्वय,सज्जीविनी, टीका, शब्दार्थ,अनुवाद, व्याख्या, व्याकरणात्मक, टिप्पणी सहित
(डॉ. निशा गोयल)
महाकविकालिदासविरचित
- काव्य के शरीर का निर्माण शब्द और अर्थ से होता है। ये दोनों एक दूसरे से अभिन्न से हैं।
- एक के बिना दूसरे का अस्तित्व सम्भव नहीं है। इसीलिये कविकुलगुरु कालिदास ने रघुवंश के प्रारम्भिक श्लोक में शब्द और अर्थ को एकता को पार्वती परमेश्वर की एकता का उपमान बनाकर इस अटूट सम्बन्ध को स्थित किया है |
Additional information
Weight | 131 g |
---|
Reviews
There are no reviews yet.