Samaasprakranam

110.00

लघुसिद्धान्तकौमुदीतः 
भाग -2 
समासप्रकरणम्
व्याख्याकार:

डॉ. राममुनि पांडेय

Add to Wishlist
Add to Wishlist
SKU: SGM-19 Categories: ,
Add To Wishlist

Description

लघुसिद्धान्तकौमुदीतः 
भाग -2 
समासप्रकरणम्
व्याख्याकार 

डॉ. राममुनि पांडेय
  • संस्कृत भाषा और उसके ज्ञान-विज्ञान को समझने के लिए महर्षि पाणिनी रचित ‘अष्टाध्यायी’ का ज्ञान होना आवश्यक है। अष्टाध्यायी में लगभग ४००० हैं। वरदराजाचार्य ने ‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ नामक पुस्तक में अष्टाध्यायी के ११८ सूत्रों की व्याख्या की है। यह पुस्तक व्याकरण के सामान्य ज्ञान हेतु अ लाभप्रद है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा बी. ए. की कक्षाओं में लघुसिद्धान्तको के विषयों को पाठ्यक्रम में रखा गया है। यही विषय प्रतियोगी छात्र-छात्राओ लिए भी उपयोगी है। बी. ए. प्रथम वर्ष में संज्ञाप्रकरण के साथ ही कुछ शब्दरूप औ धातुरूप हैं। बी.ए. द्वितीय वर्ष में सन्धिप्रकरण, कृदन्त प्रत्यय, स्त्रीप्रत्यय हैं, और बी.ए. तृतीय वर्ष में समासप्रकरण, कुछ प्रत्यान्त धातुएँ जैसे सन् णिच और वाच्य परिवर्तन आदि हैं।
  • उपयुक्त समस्त विषयों को डॉ० राममुनि पाण्डेय ने दो भागों में विभक्त किया है, साथ ही पा सम्बन्धी कुछ अन्य विषयों को भी पुस्तक में संगृहीत किया है। प्रथम भाग में संज्ञाप्रकरण, सन्धिप्रकरण, शब्दरूप, धातुरूप, कृदन्तप्रत्यय और स्त्रीप्रत्यय हैं। यह पुस्तक बी. ए. प्रथम और बी. ए. द्वितीय के लिए है। द्वितीय भाग में समासप्रकरण, प्रत्यान्त धातुएँ सन् णिच् आदि और नाट्यशास्त्रीय पारिभाषिक शब्द पञ्च अवस्थाएँ पञ्च अर्थप्रकृतियाँ और पञ्च कार्यावस्थाओं का भी वर्णन किया गया है। यह बी.ए. तृतीय वर्ष के हेतु है। इन पुस्तकद्वय के लेखक डॉ० राममुनि पाण्डेय जी ने सदैव व्याकरण विषयों का अध्यापन किया है। आप अपने अध्यापन के कारण विद्यार्थियों में अत्यन्त लोकप्रिय रहे हैं। आप की कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति ही इसका प्रमाण है। आप जानते हैं कि विद्यार्थियों को व्याकरण विषय का ज्ञान किस प्रकार कराया जाए। आपने अपने समग्र जीवन के अध्यापनानुभव को इस पुस्तक में संजोया है इसमें केवल बी. ए. के ही नहीं अपितु प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्र-छात्राएँ निश्चित ही लाभान्वित होगें। आप मेरे श्रेष्ठ एवं आदर्श गुरु हैं। मेरे पितृव्य हैं। आप ऐसे ही हम सभी शिक्षक और छात्र-छात्राओं को अपने ज्ञान द्वारा सदैव मार्गदर्शन करते रहें। शतायु हों। अपनी ज्ञान-गङ्गा से हमें आप्तावित करें, अस्तु ।

 

Additional information

Weight 142 g

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Samaasprakranam”

Your email address will not be published. Required fields are marked *