Sandhi Prakaraṇam
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लघुसिद्धान्तकौमुदीतः भाग-१ सन्धिप्रकारणम्
व्याख्याकार: डॉ. राममुनि पाण्डेय
- संज्ञा
- कृदन्त प्रत्यय
- स्त्रीप्रत्यय
- शब्दरूप
- धातुरूप
- अण्
- मत्वर्थीय प्रत्यय
Description
लघुसिद्धान्तकौमुदीतः भाग-१ सन्धिप्रकारणम्
व्याख्याकार: डॉ. राममुनि पाण्डेय
(संज्ञा, कृदन्त प्रत्यय, स्त्रीप्रत्यय, शब्दरूप, धातुरूप, अण् और मत्वर्थीय प्रत्यय)
- संस्कृत भाषा और उसके ज्ञान-विज्ञान को समझने के लिए महर्षि पाणिनीय रचित ‘अष्टाध्यायी’ का ज्ञान होना आवश्यक है। अष्टाध्यायी में लगभग ४००० सूत्र हैं। वरदराजाचार्य ने ‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ नामक पुस्तक में अष्टाध्यायी के ११८८ सूत्रों की व्याख्या की है। यह पुस्तक व्याकरण के सामान्य ज्ञान हेतु अत्यधिक लाभप्रद है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा बी.ए. की कक्षाओं में लघुसिद्धान्तकौमुदी के विषयों को पाठ्यक्रम में रखा गया है। यही विषय प्रतियोगी छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी है। बी.ए. प्रथम वर्ष में संज्ञाप्रकरण के साथ ही कुछ शब्दरूप और धातुरूप हैं। बी.ए. द्वितीय वर्ष में सन्धिप्रकरण, कृदन्त प्रत्यय, स्त्रीप्रत्यय हैं, और बी.ए. तृतीय वर्ष में समासप्रकरण, कुछ प्रत्यान्त धातुएँ जैसे सन् णिच और वाच्यपरिवर्तन आदि हैं।
- उपर्युक्त समस्त विषयों को डॉ० राममुनि पाण्डेय ने दो भागों में विभक्त किया है, साथ ही पाठ्यक्रम सम्बन्धी कुछ अन्य विषयों को भी पुस्तक में संगृहीत किया है। प्रथम भाग में संज्ञाप्रकरण, सन्धिप्रकरण, शब्दरूप, धातुरूप, कृदन्तप्रत्यय, और स्त्रीप्रत्यय हैं। यह पुस्तक बी. ए. प्रथम और बी.ए. द्वितीय के लिए है। द्वितीय भाग में समासप्रकरण, प्रत्यान्त धातुएँ सन् णिच् आदि और नाट्यशास्त्रीय पारिभाषिक शब्द पञ्च अवस्थाएँ पञ्च अर्थप्रकृतियाँ और पञ्च कार्यावस्थाओं का भी वर्णन किया गया है। यह बी.ए. तृतीय वर्ष के हेतु है। इन पुस्तकद्वय के लेखक डॉ राममुनि पाण्डेय जी ने सदैव व्याकरण विषयों का अध्यापन किया है। आप अपने अध्यापन के कारण विद्यार्थियों में अत्यन्त लोकप्रिय रहे हैं। आप की कक्षाओं में विद्यार्थियों की उपस्थिति ही इसका प्रमाण है। आप जानते हैं कि विद्यार्थियों को व्याकरण विषय का ज्ञान किस प्रकार कराया जाए। आपने अपने समग्र जीवन के अध्यापनानुभव को इस पुस्तक में संजोया है इसमे केवल बी. ए. के ही नहीं अपितु आदर्श गुरु हैं। मेरे पितृव्य हैं। आप ऐसे ही हम सभी शिक्षक और छात्र-छात्राओं को अपने ज्ञान द्वारा सदैव मार्गदर्शन करते रहें। शतायु हों। अपनी ज्ञान-गङ्गा आप्तावित करें, अस्तु ।
Additional information
Weight | 203 g |
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