Tarkbhasha
₹290.00
तर्कभाषा
व्याख्याकार: डॉ.गजाननशास्त्री मुसलगाँवकर
श्रीकेश मिश्रप्रणीता तर्कभाषा
‘माधुरी’ – हिन्दीव्याख्योपेता
Description
तर्कभाषा
व्याख्याकार: डॉ.गजाननशास्त्री मुसलगाँवकर
श्रीकेश मिश्रप्रणीता तर्कभाषा
‘माधुरी’ – हिन्दीव्याख्योपेता
- डॉ० श्री गजानन शास्त्री मुसलगांवकर ( एम० ए०, पी-एच० डी० ) द्वारा संपादित एवं भाष्यात्मक ‘माधुरी’ हिन्दीव्याख्या-संवलित ‘तर्कभाषा’ को मैंने पढ़ा। यह व्याख्या भाष्यात्मक है तथा संबद्ध सभी जिज्ञासाओं और प्रश्नों का इसमें समाधान है। श्री शास्त्री मीमांसा, न्याय, वेदान्त, साहित्यादि अनेक शास्त्रों के तलस्पर्शी और ममंज्ञ विद्वान् हैं । अतः इस ‘माधुरी’ व्याख्या में उठाये गये गूढ़ और कठिन प्रश्नों के समाधान में विविध शास्त्रों और दर्शनों का पूर्ण पाण्डित्य लक्षित होता है ।
- विरञ्चिविरचित परिवर्तनशील प्रपन्च में प्रत्येक मानवमनीषा त्रिविध दुःख-ध्वंस एवं स्थायी परमानन्दोदय के लिये सतत अनुष्ठानपरायण है। किन्तु अभी तक वह उसे प्राप्त नहीं कर सकी है। क्योंकि जिन अनुष्ठानों से उसकी प्राप्ति संभव है उनका या तो उसे यथार्थ ज्ञान ही नहीं है या ज्ञान रहने पर भी उनका सम्यक् परिपालन ही नहीं कर पायी है। तत्त्वचिन्तकों में भारत संसार के सभ्य देशों में सबसे पुरातन और सबमें अग्रेसर है। भारत शब्द भा-ज्ञान में रत संलग्न, तत्त्वज्ञान के उपार्जन में निरन्तर क्रियाशील, इस म में अन्वर्थ है।
Additional information
Weight | 591 g |
---|
Reviews
There are no reviews yet.