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Vastunisth Sanskrit-Vyakranam
₹221.00
संस्कृत व्याकरणम्
M.A, B.Ed & Ph.D Entrance Exam
- TGT
- PGT
- UGC-NET/JRF
- C-TET, UP-TET
- DSSSB
- GIC
- Degree College Lecturer
आदि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोगी पुस्तक
Description
वस्तुनिष्ठ
संस्कृत व्याकरणम्
TGT, PGT, UGC-NET/JRF, C-TET, UP-TET, DSSSB, GIC & Degree College Lecturer
M.A, B.Ed & Ph.D Entrance Exam
आदि सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में उपयोगी पुस्तक
- विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में सम्मिलित होने से एतत् अनुभूतं यत् बहुत कुछ पढ़ लेने के बाद भी परीक्षाओं में जब कोई प्रश्न बहुविकल्पीय के रूप में हमारे सामने आता है, तो कदाचित् अस्माकं मनसि संशयः उत्पद्यते कई बार तो यही नहीं समझ में आता कि जो अहं पठन् अस्मि उससे किस तरह का सवाल पूछा जा सकता है, कई बार तो एवं अनुभूयते कि जैसे एक से ज्यादा उत्तर सही हैं, कदाचित् एवं लगति कि जैसे इन विकल्पों में कोई भी उत्तर सही नहीं है, और कभी-कभी तो ऐसा लगने लगता है जैसे सभी विकल्प सही हैं, हद तो तब हो जाती है, जब पूछा गया सवाल वयं समझ ही नहीं पाते तत्र सही गलत का कोई क्या निर्णय करेगा। इन सभीप्रकार के संशयात्मक ज्ञान को दूरीकर्तुं एकः भगीरथः प्रयासः इस संस्कृतगङ्गा में किया गया है। और अहं विश्वसिमि कि जैसे गङ्गा सभी को मोक्ष प्रदान करती है, भवसागर से पार करती है, निष्पाप करती हैं, तथैव संस्कृतगङ्गा हमें परीक्षा रूपी भवसागर से पारं कृत्वा मोक्ष प्रदान करेगी, और अस्माकं अज्ञानरूपी पापं प्रक्षाल्य हमें निष्पाप करेगी।
- यथा गङ्गा को इस धराधाम में लाने के लिए भगीरथ के कई पूर्वजों ने तपस्या की थी, तथैव संस्कृतगड़ा में भी कई भगीरदों ने अथक और अनवरत साधना की है, जिसका प्रतिफल इस महाकुम्भ के महापर्व पर गङ्गा, यमुना के साथ साथ संस्कृतसरस्वती का सब्रम इस “संस्कृतगा” के रूप में हो सका है। विशेष रूप से गङ्गा को अपनी जटाओं में धारण करके भगवान शंकर ने भगीरथ के ऊपर महती कृपा और करुणा प्रदर्शित की थी, तथैव इस संस्कृतगङ्गा को भी संस्कृतजगत् में लाने का भार करुणाशंकर जी ने अपने शिर पर धारण किया।
Additional information
Weight | 445 g |
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Dimensions | 24 × 18.3 × 1.4 cm |
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